ओरंगाबाद, महाराष्ट्र कि मात्र 14 साल की उम्र में दीक्षा शिंदे Diksha Shinde ने पुरे विश्व में भारत का नाम रोशन किया है क्युकी इस बच्ची को अमरीका की स्पेश शटल एजेंसी नासा ने अपने इन्हा पर फैलोशिप (NASA Fellowship virtual) के लिए सेलेक्ट किया है. दीक्षा शिंदे को नासा के एमएसआई फैलोशिप वर्चुअल (NASA MSI Fellowships) पैनल पर पैनलिस्ट के रूप में सिलेक्ट किया गया है.
किस प्रकार चयन हुआ :
"दीक्षा शिंदे ने "BLACK HOLE AND GOD" पर एक Theory लिखकर नासा NASA को Submit की, जिसे तीन बार प्रयास करने के बाद नासा ने स्वीकार की. दीक्षा को नासा की की वेबसाइट के लिए एक आर्टिकल लिखने के लिए भी कहा है"
अब मुख्य बात पर आते है;
अगला प्रश्न यह हो सकता है की जिस वर्ग को अछूत बताकर सभी सुविधाओ से दूर रखा गया उसकी पीढ़ी से एक मात्र 14 साल की बच्ची कैसे यह कमाल कर गयी.
इसका उत्तर;
"इस फोटो में दीक्षा के स्टडी रूम में लगी "डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर व गौतम बुद्ध की मूर्ति बिना व्याख्या करे दे रही है"
वास्तव में बाबा साहब ने अपने अंतिम दिनों से पहले नागपुर में 5 लाख लोगो को पहले ही एक ऐसा रास्ता दे दिया था, जिस पर चलकर वो अपनी तरक्की कर सकता है. यह ही कारण है की महाराष्ट्र में इन 5 लाख लोग से बने 50 लाख लोगो में से आज उधमी भी है, डॉक्टर, सर्जन, वैज्ञानिक से लेकर टॉप वकील, जज तक है. बाबा साहब के साथ जिन लोगो ने गौतम बुद्ध को स्वीकार करके यह बता दिया था की आज से वो अपने मष्तिष्क के माध्यम से चिन्तन व मनन करके चलेंगे, समस्या पर रोयेंगे नही, दोष नही देंगे, बल्कि समाधान निकालेंगे. उसी का परिणाम "दीक्षा शिंदे" है.
वास्तव में धर्म आधारित अत्याचार, मनुवादी व्यवस्था का अत्याचार, व ब्राह्मण से विवाद केवल इस कथन की हमारा इन समस्याओ से सम्बन्धित धर्म से कोई सम्बन्ध नही है, एक झटके में इस विवाद से हमे निकाल देता है. उसके बाद इन समस्याओ पर समय और ध्यान देने की जगह हम भविष्य के बारे में प्रोग्राम बना सकते है. जो धर्म में उलझे रहते है वो धार्मिक स्थल पर पीटने पर रोना रोते है.
विकास कुमार जटाव - सोशल ऍक्टिव्हिस्ट
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