बसपा सुप्रीमो मायावतीजी का परशुराम अस्पताल क्यों तिलमिला रहा है दलित समाज बसपा सुप्रीमो मायावतीजी का परशुराम अस्पताल क्यों तिलमिला रहा है दलित समाज - बहुजन जागृती

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर : बहुजन समाजाची राजनीतिक आणि सामाजिक चळवळ

Monday, August 10, 2020

बसपा सुप्रीमो मायावतीजी का परशुराम अस्पताल क्यों तिलमिला रहा है दलित समाज






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बसपा सुप्रीमो मायावतीजी ( BSP SUPRIMO MAYAAWATI ) का " परशुराम अस्पताल " का निर्माण करेंगे 

ऐसे बायां सवर्णो की पार्टियों में हलचल मच गयी। लेकिन कुछ दलित समाज मायावती के इस बयान से खफा है। 

मायावती २०२२ की चुनावी लड़ाई में अब उतर चुकी है और अब वो २००७ की तरह अपने दम पर राज्य और 

केंद्र में सरकार बनाना चाहती है। सर्व समाज को साथ लेकर चलना क्या एक एससी या दलित कम्युनिटी पार्टी 

नहीं कर सकती। 

ज़रा सोचिये .... 

जिस प्रकार दलित समाज ने बाबा साहेब आंबेडकर जी को सिर्फ एक ही खांचे में फिट करके रखा। उन्हें सर्व 

समाज से दुर रखा,उसी प्रकार आज का दलित समाज बहन जी को भी अपने तक ही सीमित रखना चाहता 

है...अतः बहन मायावती जी को सर्व समाज में सम्मान प्राप्त देख कुछ गांधी के हरिजन बौखला गये है और 

बिलबिला उठे हैं....परशुराम अस्पताल,,,


1.गांधीजी ने जिन्हें हरिजन कहा है वो कोंग्रेस दरीबाज हाय-हाय कर रहे है

2.कब्र में पहुचने की तेयारी कर चुको में भी जान आ गयी

3.काफी दिन से काम धंदा नही जिन्हें मिल रहा था वो ज्ञानी बन गये

कुल मिलाकर इससे तय है की अगर राजनीती में बहनजी न हो तो इनका क्या होगा, इनके पास क्या विषय 

होगा, किस विषय पर हाय हाय करेंगे. भाजपा या कोंग्रेस में रहकर इनकी औकात नही की राजनीती या किसी 

और पार्टी पर बात करे. भुलनिवासी, एससी/एसटी नाम से जो सन्गठन चल रहे है, उनकी हैसियत नही की देश 

की राजनीती, भाजपा, कोंग्रेस, या किसी और पर ब्यान दे सके. एकमात्र बसपा ही है, जो काम धंदा दे देती है.

खैर, बहनजी का कहना है की उनकी सरकार बनने पर वो "परशुराम व सभी समाज के महापुरषो के नाम पर 

अस्तपाल वगैरह बनवाएगी. इसके अलावा सपा परशुराम की मूर्ति बना रही है, उससे भव्य बनवाएगी"

अरे भाई, इतना दिमाग खराब करने की क्या जरूरत है;

"वो मायावती है, एक परशुराम की बनाएगी, 100 गाडगे जी महाराज, मान्यवर, बाबा साहब, बिरसा मुंडा, फुले 

दम्पति, शाहू जी महाराज से लेकर तमाम बहुजन महापुरषो की बना देगी. इनके नाम से योजनाये बना देगी, 

अस्पताल, स्कुल वगैरह बहुजन महापुरषो के नाम से खोल देगी"

वैसे "राजनीती अकेले जाटव/चमार, एससी वोटो पर नही चलती है. दुसरे वोटर को भी लेना पड़ता है, राजनीती बच्चो का खेल नही है, जिसमे सत्ता प्राप्ति के लिए, जिसके द्वारा अपने उदेश्यों को पूरा किया जा सके, के लिए हर हथकंडे अपनाने पड़ते है और एससी व्यक्ति के नेतृत्व में पार्टी बनाकर सत्ता प्राप्त करना, सपा, कोंग्रेस, आरजेडी से ज्यादा मुश्किल है क्युकी एससी को सत्ता के शिखर पर कौन देखना चाहेगा?, उसे पहले जातिवादी मानसिकता से लड़ना पड़ेगा, उसके बाद किसी तरह जुगाड़ करके सत्ता प्राप्त करनी पडती है. वो ही बहनजी कर रही है... 

वास्तव में हाय-हाय करने वाले, बसपा को कभी वोट नही देंगे, उनके बाप दादा ने भी नही दिया होगा, दिया होगा 

तो काफी पहले देना छोड़ दिया होगा, एससी समाज के असंख्य सन्गठन है, सभी को बसपा से ज्यादा सपा 

अच्छी दिखती है जिसके मुखिया पंडित अखिलेश जी चाहे जितनी पूजा कर ले, बहनजी चाहे यह कितनी बार 

कह दे की "मन्दिर वगैरह में कुछ नही रखा है बाबा साहब के सिधान्तो पर चलो".उसके बाद भी वो अखिलेश 

हाय हाय नही बल्कि मायावती हाय-हाय करेंगे.

उन्हें राजनीती में सपा, आरजेडी, कोंग्रेस में 90% अशुद्धता भी बर्दास्त है लेकिन बसपा में 1% अशुद्धता नही 

चाहिए। ..

सपा, कोंग्रेस, आरजेडी के ऐसे किसी कदम को वो सत्ता प्राप्ति से जोड़ेंगे, जबकि बसपा से अपेक्षा करेंगे की 

कोई उसे वोट न दे, और वो वोट प्राप्ति का कोई ऐसा कोशिस करे तो मिशन से भटकने का आरोप लगाकर हाय-

हाय करेंगे.






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