दि प्रिंट न्यूज़ पोर्टल द्वारा बाबासाहब के बारे में आरएसएस संबंधित झूठी अफवाओं का पर्दाफ़ाश दि प्रिंट न्यूज़ पोर्टल द्वारा बाबासाहब के बारे में आरएसएस संबंधित झूठी अफवाओं का पर्दाफ़ाश - बहुजन जागृती

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर : बहुजन समाजाची राजनीतिक आणि सामाजिक चळवळ

Sunday, April 19, 2020

दि प्रिंट न्यूज़ पोर्टल द्वारा बाबासाहब के बारे में आरएसएस संबंधित झूठी अफवाओं का पर्दाफ़ाश

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The Print नामक न्यूज पोर्टल जो अब यूट्यूब पर उपलब्ध है, उसने आरएसएस के प्रचारक का, झूठ की पुलिंदों 

वाला वीडियो, जानबूझकर डॉ. बाबासाहब आंबेडकरजी के १२९ वे जयंती के अवसर पर प्रसारित किया । उस 

वीडियो मे आरएसएस का नुमाईंदा श्री अरुण आनंद ने डॉ. बाबासाहब आंबेडकरजी एवं आरएसएस के 

विचारधाराओं में समानता थी – Ambedkar's Links with rss and how their Ideologies were similar– इस 

विषय में , साढे छह मिनट में छह बातें, जो सूक्ष्म मक्कारी से भरी, बुद्धिभेदक और छलवादी शब्दों से ओतप्रोत 

भरी हुई थी, रखी।

ये तो ऐसा हुआ जैसे कि,' उष्ट्राणां च विवाहेषु गीतं गायन्ति गर्दभः परस्परं प्रशंसन्ति अहो रूपमहो ध्वनिः '

अर्थात ऊँटो के विवाह में गधे गए। और गाना गाने लगे। ऊँटो को गधो का गाना बड़ा भाया, उन्होंने कहा वा क्या 

आवाज है ! बहोत सुंदर ! इसपर गधो ने ऊँटो को कहाँ की आप जैसा सुंदर दूसरा कोई है ही नही। इसतरह वे 

एकदूसरे की प्रशंसा करने लगे। ठीक ऐसा ही कुछ हाल पिछले ९० सालों से चला आ रहा है। अब परिस्थितियों 

में बदलाव हुआ, तो गधो और ऊँटो को अब शेरों और बाघो के मुख से प्रशंसा सुनने की लालसा उत्पन्न हुई। ऐसा 

तो होने से रहा। तब झूठ झूठ की दुसरो के मुख में स्वयं की प्रशंसा डाल कर, खुद की पीठ थपथपाने की चेष्टा 

की जा रही है। इसका ज्वलंत उदाहरण दी प्रिंट पर प्रसारित आरएसएस के श्री अरुण आनन्द का व्हिडिओ। 

इसमे उसने डॉ. बाबासाहब अंबेडकरजी और आरएसएस के बारे में, कुल छह बातें रखी,

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१) १९३५ पुणे के आरएसएस शिबिर में बाबासाहब अंबेडकरजी गए, और अस्पृश्य कितने है ऐसा सवाल 

किया। इसपर आरएसएस के सुप्रीमो ने कहा कि हम भेदभाव नहीं करते। तब बाबासाहब ने 

आरएसएस की भूरिभूरी प्रशंसा की।

सत्य क्या है ?

१९३५ का ये ब्यौरा सरासर झूठ है। अनैतिहासिक हैं। ऐसा कोई भी समकालीन, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रमाण नही 

है।

२) १९३९ में आरएसएस का प्रथम सुप्रीमो डॉ. हेडगवार ने औपचारिक तौर पर बाबासाहब अंबेडकरजी 

को आरएसएस के शिबिर का न्योता भेजा। बाबासाहब गए थे।

ये बात भी उपरोक्त झूठ के समान ही सफेद झूठ है। बाबासाहब जी कभी भी आरएसएस के शिबिर में गये नही। 

और आरएसएस सुप्रीमो हेडगवार ने कोई न्योता भेजने का मुद्दा ही अप्रस्तुत है।

३) १९४९ के सितंबर महीने में आरएसएस का द्वितीय सुप्रीमो गुरु गोल्वालकर आरएसएस पर बैन जो 

लगा था उस सन्दर्भ में नई दिल्ली में डॉ. बाबासाहब अंबेडकरजी को मिलने गए।

यद्यपि गोल्वलकर बाबासाहब अंबेडकरजी से मिलने गए थे, किन्तु चर्चा का विषय बैन नही था। अपितु 

गोल्वलकर को महाराष्ट्र के मराठा जाती के बारे में Non Maratha समूहों का गठबंधन करने की महत्वाकांक्षा 

लेकर चर्चा करने में रस था। इसपर बाबासाहब अंबेडकरजी जी ने उसे ऐसा फटकारा की एक शब्द भी न बोलते 

हुए, लज्जा से गोल्वलकर घर से बाहर निकल गया। उस चर्चा के बारे में श्री आनन्द ने Conspiracy of Silence 

के तहत चुप्पी साधली। उस चर्चा में बाबासाहब अंबेडकरजी कर विद्वान कार्यकर्ता विद्यावाचस्पति सोहनलालजी 

शास्त्री मौजूद थे। उन्होंने गोल्वलकर और बाबासाहब आंबेडकरजी के बीच हुई उस चर्चा कस ब्यौरा अपनी 

किताब में लिख दिया। उन्होंने लिखा,

" उन्हीं दिनों गुरु गोलवलकर भी बाबा साहब के पास आए थे। उनकी दसों उंगलियों में नाना प्रकार की पाषाण जड़ित सुनहरी अंगूठियां पहनी हुई मैंने अपनी आंखों से देखी थी। बाबा साहब ने कहा कि यह कोई धनी व्यक्ति नहीं है किंतु सोने के हीरे जड़ित या अंगूठिया इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरु दक्षिणा पूजा के अवसर पर दक्षिणा में मिली है। "

आगे बाबासाहेब आंबेडकरजी ने जो टिप्पणी की वह बहुत महत्वपूर्ण है उन्होंने कहा,

" देखिए इस देश के पोप एक नहीं दो नहीं दसों उंगलियों में दसियो प्रकार के अंगूठिया पहने हुए हैं। ऐसे गुरु 

जिस देश में होंगे उसका कभी कल्याण नहीं हो सकता।"

सोहनलाल जी आगे लिखते हैं की सदाशिव गुरु गोलवलकर बाबा साहब से मराठी में बातें करते रहे जिन्हें में 

बहुत कम ही समझ पाया था क्योंकि मैं मराठी से अनभिज्ञता किंतु बातचीत का भावार्थ बाबासाहब अंबेडकरजी 

ने उन्हें कथन किया,

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गोल्वलकर किसलिए आया था ?

गोल्वलकर ने बाबासाहब से कहां,"कि मराठों का मुकाबला करने के लिए मराठा इन सब जातियों का संगठन 

होना चाहिए नहीं तो इन्होंने आज ब्राह्मणों पर अत्याचार ढाया है कल अछूतों पर भी अत्याचार करेंगे। मराठों की 

बहूसंख्या गिनती और भू स्वामित्व बल सब नॉन मराठों को समाप्त कर देगा। मैं इसका उपाय करने के लिए 

आपके पास आया हूं

बाबासाहब गोल्वलकर को फटकारते हुए कहा," तू तो चितपावन ब्राह्मण हो। तुम्हारा पुरखा पेशवा जिनके हाथ 

में देश के प्रशासन की बागडोर रही उनका सलूक हम अछूतों के साथ कैसा था ? तुम्हारे पेशवा महाराजाओं ने 

भी तो पुणे में अछूतों के गले में मिट्टी की हंडिया बांधने कबर पर झाड़ू बांधकर सड़कों पर चलने का आदेश दे 

रखा था। ताकि आज अछूत थूंके तो उस मिट्टी की हंडीयों में ही थूके, कदाचित उनके थूक से मार्ग भ्रष्ट ना हो 

जाए और कमर में झाडू बांधने का आदेश इस कारण दिए ताकि अछूतों के पैरों के निशान मिट से चले जाएं और 

उनके पद चिन्हों पर चलकर कोई सवर्ण हिंदू विशेषतः ब्राह्मण भ्रष्ट न हो जाए।

आर एस एस यह ब्राह्मणों का संगठन है ऐसा कहते हुए बाबा साहब ने कहा,

" तुम्हारा यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अभी तो ब्राह्मणों का ही एक संगठन है इसमें न तो महार अछूत है और नहीं 

मराठे। अभी तो अपने पुरखों के पहले बोये विषवृक्ष का फल चख रहे हो, अब तुमने एक और सांप्रदायिक विष 

वृक्ष बोना आरंभ कर दिया है। इसका भी बहुत बुरा प्रभाव निकलेगा..... अब पिछली भूल को सुधारो ऐसे संगठन 

पुनः ब्राह्मण चितपावन राज कायम नहीं कर सकेंगे ।

गुरु गोलवलकर खामोशी से उनकी बातें सुनता रहा किंतु किसी भी प्रश्न का उत्तर दिए बगैर चला गया."

४) अरुण आनन्द ने चौथा झूठ कहां, की १९५२ के चुनावों में शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन ने मध्यप्रदेश 

प्रान्त में जनसंघ से गठबंधन किया था।

शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन के घोषणापत्र में किन संघटनों के साथ गठबंधन नही होगा ये साफ साफ लिख

दिया था । इसके बावजूद अरुण आनन्द की आड़ में आरएसएस भ्रम फैलाता है।

SCF का घोषणापत्र में सुस्पष्ट लिखा था कि SCF आरएसएस और हिन्दू महासभा जैसे प्रतिकियावादी संघटनो से 

किसी भी प्रकार का गठबंधन नही करेगा,

" ..The Scheduled Castes Federation will not have any alliance with any reactionary Party such as the Hindu Mahasabha or the R.S.S."- Ref. Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and Speeches Vol. 17 (1), p.402

५) आरएसएस का पिंगले नामक एक वर्कर बाबासाहब अंबेडकरजी से मिलने औरंगाबाद गया था। तब 

बाबासाहेब ने उसे कहा कि आरएसएस को बढाओ। जल्दी जल्दी कार्य की गति बढाओ इत्यादि।

उक्त चारो बातों जैसा ये भी एक सफेद झूठ है। ऐसी कोई चर्चा हुई नही।

६) अरुण आनन्द ने कहा कि भंडारा जिले में उपचुनाव में SCF का आरएसएस ने प्रचार किया, और दत्ता 

टेंगड़ी नामक आरएसएस के प्रचारक को, जो बाबासाहब अंबेडकरजी के आंखों का तारा बन गया था 

उसे SCF का सेक्रेटरी नियुक्त किया गया। दत्ता टेंगड़ी को तो बाबासाहब ने चुनाव लड़ने के लिए टिकट 

भी देने की कोशिश की, किन्तु संघ कार्य बहुलता के कारण दत्ता टेंगड़ी ने टिकट नकार दिया !

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ये सभी बातें मक्कारी से भरी हुई है। भंडार उपचुनाव में आरएसएस का मदत देना यह सरासर झूठ बात है। 

दत्ता टेंगड़ी को टिकट देने की बात तो मानो खरगोश के सींग जैसी कोरी कल्पना मात्र है। रही बात दत्ता टेंगड़ी 

के सेक्रेटरी होने की, इसपर आदरणीय प्रा. हरिभाऊ नरके जी, जो डॉ. बाबासाहब अंबेडकरजी के महाराष्ट्र 

सरकार द्वारा प्रकाशित साहित्य के संपादक थे, उन्होंने दो टूक कहा, की

' अनुसूचित जाति के संघटन का सेक्रेटरी गैर अनुसूचित जाति का कैसे हो सकता है ?'

यहीं पर आरएसएस के उस झूठ की पोल खुल जाती है।

जब संसद में चुनावो के लिए खड़े रहने वाले उमीदवारों के बारे में चर्चा हो रही थी, तब बाबासाहब आंबेडकरजी 

ने आरएसएस को dangerous खतरनाक संघठन कहां थस। ऐसे संघटन के लोग यदि चुनाव लड़ेंगे तो फिर देश 

का कल्याण हो ही नही सकता,

बाबासाहबजी ने कहां, की "RSS....is a dangerous organization." (Ref. Dr.Babasaheb Ambedkar Writing and Speeches Vol. 15, p.560)

पूरा वीडियो देखने के लिए इमेज पर क्लिक करे 
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अतः दी प्रिंट और आरएसएस के उक्त मक्कारी, झूठ, बुद्धिभेदक वक्तव्यों का हम जाहिर धिक्कार एवं तीव्र 

निषेध व्यक्त करते है।

' रिपूशेषं व्याधिशेषं चाग्निशेषं तथैवच। पुनः पुनः प्रवर्धन्ते तस्माच्छेषं न कारयेत् ।। '

- पवनकुमार शिंदे

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