पत्रकार भी थे। यह बात की जानकारी कम लोगों को है। उन्होंने 1972 से पत्रकारिता की शुरुआत कर 2003
तक पत्रकारिता की। उन्होंने इस दरमियान भारत के अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग भाषा में अलग-अलग
क्षेत्र के लिए दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक पत्रिकाए चलाई।
1972 से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की। अनटचेबल इंडिया मे अवर एमपल्याइज प्रॉब्लम अँड देअर प्रोबेबल सोलूशन नामक आर्टिकल लिखकर उन्होंने कर्मचारियों के समस्या पर चर्चा की।
इस पत्रकारिता में 1980 से 2003 तक उन्होंने दिल्ली से बहुजन संगठन हिंदी, नागपुर से बहुजन नायक मराठी
यह साप्ताहिक नियमित रूप से चलाएं। उन्होंने दिल्ली से बहुजन टाइम्स नामक इंग्लिश और हिंदी दैनिक भी
चलाएं और इसी नाम से मराठी का दैनिक नागपुर से चलाएं। नागपुर का दैनिक 2 साल तक चला। मान्यवर
कांशीरामजी ने 1 जून 1972 को पुणे से अनटचेबल इंडिया नामक इंग्लिश में पाक्षिक की शुरुआत की। उसके
सिर्फ तीन अंक निकले। उस वक्त कांशीरामजी पूना से एससी, एसटी, ओबीसी, माइनॉरिटी, कम्युनिटी एंप्लाइज
एसोसिएशन नामक संगठन चलाया करते थे। बाद में उन्होंने 6 दिसंबर 1973 को बामसेफ संगठन बनाने की
घोषणा की। दिल्ली से बामसेफ बुलेटिन नाम से इंग्लिश पत्रिका निकालना शुरू किया। 5 साल के बाद
6 दिसंबर 1978 को बामसेफ की स्थापना करने के बाद दिल्ली से 14 अप्रैल 1980 को ऑपरेस्ड इंडिया नामक
6 दिसंबर 1978 को बामसेफ की स्थापना करने के बाद दिल्ली से 14 अप्रैल 1980 को ऑपरेस्ड इंडिया नामक
मासिक पत्रिका निकाली। यह पत्रिका 1986 तक नियमित रूप से निकली। इसके 55 अंक प्रकाशित हुए।
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जिसमें स्वयं कांशीरामजी ने 65 अग्रलेख, आर्टिकल, न्यूज़ और व्यूज मैटर लिखे। इन ऑपरेस्ट इंडिया के अंक में
बामसेफ बुलेटिन समाविष्ट किया गया। इस ऑपरेस्ट इंडिया के अंक में देशभर की बहुजन मूव्हमेंट और अन्याय-
अत्याचार की खबरें छपाई जातीथी। इस मासिक पत्रिकाओं में लिखे हुए कांशीरामजी के 65 अग्रलेख, आर्टिकल,
एडिटोरियल ऑफ कांशीराम नामक किताब में लेखक (उत्तम शेवडे) ने 2002 को संपादित कर प्रकाशित किया।
उत्तर नागपुर के बुद्धनगर परिसर में कामठी रोडपर धर्म कांटा के नजदीक संगठना का कार्यालय स्थापन किया।
30 मार्च 1980 को नागपुर से बहुजन नायक नामक मराठी साप्ताहिक की शुरुआत की। इस पत्रिका का
विमोचन हाजी अब्दुल करीम पारेख के हाथों धनवटे रंगमंदिर में कांशीरामजी के मौजूदगी में किया गया। प्रसिद्ध
आंबेडकरी कवि दया पवार के हाथों 24 अगस्त 80 को श्रमिक साहित्य नामक मराठी मासिक शुरू किया गया।
बामसेफ के दूसरे दिल्ली के राष्ट्रीय अधिवेशन में 20 नवंबर 1980 को चंडीगढ़ से चरणदास जी के हाथों शोषित
साहित्य नामक पंजाबी मासिक, बड़ौदा से जयपालसिंह कश्यप के हाथों दलित साहित्य नामक गुजराती मासिक,
भाई परमार के हाथों दिल्ली से ऑपरेस्ड इंडियन नामक इंग्लिश दैनिक, 21 नवंबर को आर्थिक उत्थान हिंदी
मासिक पत्रिका, दाऊजी गुप्ता के हाथों 22 नवंबर को इकोनामिक अपसर्ज (आर्थिक उत्थान) इंग्लिश मासिक
पत्रिका, 23 नवंबर को बहुजन साहित्य मासिक पत्रिका जेपी मदन के हाथों से शुरू की, जो मान्यवर
कांशीरामजी को ब्रेनस्ट्रोक आने तक 2003 तक बहुजन संगठक और बहुजन नायक नाम से चलती रही।
धम्मदीक्षा के 25 साल उपरांत बुद्ध जयंती के मोक्के पर 18 मई 1981 को भदंत सुरेई ससाई के हाथों नागपूर मे बहुजन मुद्रणालय का लोकार्पण स्वयं कांशीरामजी ने अपने मौजुदगी मे किया। 1 माह के बाद 27 जून को बेंगलोर से कन्नड़ भाषा में बहुजन संदेश एवम दलित साहित्य, चंडीगढ़ से पंजाबी भाषा में बहुजन संदेश, बड़ौदा से गुजराती भाषा में बहुजन एकता, सिलीगुड़ी से बंगाली भाषा में बहुजन नायक का लोकार्पण ज्याकब लोबो और प्रो वरदराजन के हथो किया गया।
बामसेफ का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन चंडीगढ़ में 14 से 18 अक्टूबर 1981 को हुआ। इस धम्मचक्र प्रवर्तन दिन
के 25 वे साल (सुवर्ण महोत्सवी वर्ष) मे यह सम्मेलन हुआ। इसमे स्वयं कांशीरामजी ने अपने हाथों 14 अक्टूबर
को बामसेफ परिचय नामक इंग्लिश, हिंदी, मराठी, पंजाबी भाषा में किताब का विमोचन किया। जिसके माध्यम
से बामसेफ संगठन की भूमिका कार्यकर्ता तक पहुंचाई गई। बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन में गांधी के साथ
हुए पुणे करार का काफी महत्व है। इस घटना को 50 साल पूरे होने के मौके पर मान्यवर कांशीरामजी ने 24 सितंबर 1982 को पुणे करार धिक्कार दिन मानकर बहुजन समाज को चमचागिरी के मूवमेंट की जानकारी देने के उद्देश्य सम्मेलन का आयोजन किया।
इस सम्मेलन में स्वयं कांशीरामजी ने लिखी हुई चमचा एज नामक किताब का उन्होंने विमोचन किया। इस
किताब से कांशीरामजी ने बहुजन समाज को चमचागिरी से मुक्ति दिलाने के लिए अपने मूव्हमेंट की पूरी ब्लूप्रिंट
छपाई।
14 अप्रैल 1984 को काशीरामजी ने दिल्ली में बहुजन समाज पार्टी नामक राजनीतिक पार्टी की स्थापना की।
इसी सम्मेलन में सांसद राम नरेश यादव के हाथों बहुजन टाइम्स नामक हिंदी दैनिक अखबार और महात्मा फुले
के वंशज अनंतराव फुले के हाथों बहुजन टाइम्स नामक अंग्रेजी दैनिक अखबार का लोकार्पण किया। 30 मार्च
1984 को नागपुर में बहुजन टाइम्स नामक मराठी दैनिक की शुरुआत कर 100 दिन के बाद नागपुर के धनवटे
रंगमंदिर में बड़ा सम्मेलन लेने का कार्य किया।
आंदोलन और पत्रकारिता
कांशीरामजी ने मूव्हमेंट बनाने के लिये बामसेफ, डीएसफोर, बीएसपी के माध्यम से अनेक वैचारिक और
संघर्षात्मक आंदोलन चलाए। उस आंदोलन के लिए अखबार निर्माण करना उनकी पहली जिम्मेदारी थी। वह
हँडबील, पत्रक और लेख द्वारा साहित्य निर्माण करते थे।
1972 से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की। अनटचेबल इंडिया मे अवर एमपल्याइज प्रॉब्लम अँड देअर
1972 से उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत की। अनटचेबल इंडिया मे अवर एमपल्याइज प्रॉब्लम अँड देअर
प्रोबेबल सोलूशन नामक आर्टिकल लिखकर उन्होंने कर्मचारियों के समस्या पर चर्चा की। उन्होंने क्या
अंबेडकरवाद का पुनरपल्लवन हो सकता है?, (विल अंबेडकरिझम रिव्हयु अँड सरव्ह्यू) इस कार्यक्रम से
शुरुआत की। उनका साहित्य ऑपरेस्ड इंडिया में मिलता है। 1980 को अंबेडकर मेला ऑन व्हील (फिरते
अंबेडकरी मेळे), लांगमार्च का नेतृत्व किसने किया?। 1982 में लिमिटेड पॉलीटिकल एक्शन (मर्यादित
राजनीति), और पुणेकरार धिक्कार पर अपना साहित्य निकाला। 1983 में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की समस्या यह
भारत की मूल समस्या है। पीपल पार्लमेंट, समता स्वाभिमान के लिए संघर्ष आदी आंदोलन करने की जरूरत
बता कर आर्टीकल लिखे। बाबासाहब के 1956 के क्रांति की दिशा, दशा और उपाय पर साहित्य निर्माण किया।
1984 में बसपा की स्थापना करने के बाद मंडल आयोग के समर्थन में साहित्य निकालकर आंदोलन चलाया।
स्वतंत्र भारत में बहुजन समाज गुलाम और लाचार क्यों? इस विषय पर साहित्य निर्माण कर कार्यक्रम और
आंदोलन किया। 1985 में बूथ कैपचरिंग के खिलाफ, आरक्षण रोजी-रोटी का सवाल नहीं शासन-प्रशासन में
हिस्सेदारी का मामला है। यह सवाल बताने के लिए साहित्य निकाला। 1986 में उत्तर प्रदेश मे दारुभट्टी विरोधी
आंदोलन चलाएं। उसके लिए साहित्य निकाला। 1987 में शरणार्थियों के लिए, उनमें भाईचारा बनाने के लिए
आंदोलन चलाया। 88 मे सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ती के उद्देश्य 5-5 सूत्री कार्यक्रम चलाया। 89 को
किसान मजदूरों के समर्थन में रैली। 90 को सांप्रदायिकता विरोधी सम्मेलन। दासप्रथा के खिलाफ सम्मेलन।
1994 मे पुणे यूनिवर्सिटी को राजर्शी छत्रपति शाहू का नाम देने हेतु मोर्चे-चर्चा आदी आयोजित किये। 1995 में
महापुरुषों के मेले का साहित्य निकाला। 1996 भागीदारी आंदोलन। 1997 मे असली आजादी का संघर्ष
(आजादी के 50 साल बाद), भारत के सभी भाषा की किताबें। स्वतंत्र भारत में बहुजन समाज आश्रित क्यों इस
विषय पर। 2000 में संविधान समीक्षा विरोधी राष्ट्रव्यापी आंदोलन कर संविधान सम्मेलन रैली का आयोजन किया।
2001 मे कई हम भूल ना जाए अंतर्गत महापुरुषों के साहित्य का निर्माण किया। 2002 आरक्षण शताब्दी वर्ष के
उपलक्ष में साहित्य निर्माण किया।
कांशीरामजी देशभर से प्रसारित प्रस्थापित पत्रकारिता को मनुवादी पत्रकारिता कहते थे। उनका इन मीडिया पर भरोसा नहीं था। लेकिन बहुजन समाज को फुले-शाहू-आंबेडकर के विचारों पर बहुजन मूवमेंट को पत्रकारिता की जरूरत देखते हुए और उनसे प्रेरणा लेते हुए उन्होंने स्वयं बहुजन पत्रकारिता की शुरुआत की। उसके लिये उन्होने दिल्ली से लगे हुये नोएडा मे मीडिया हाउस के लिये जमीन भी खरेदी की।
आज 15 मार्च मान्यवर कांशीरामजी का 86 वा जन्मदिन। इस उपलक्षमें कांशीरामजी एक आंदोलनकारी
पत्रकार यह आर्टिकल लिखा गया।
- उत्तम शेवडे, नागपूर (09421800219)
मा प्रदेश सचिव, महाराष्ट्र प्रदेश बसपा | अध्यक्ष, मा कांशीरामजी सार्वजनीक ग्रंथालय .
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