पूर्व प्रधानमंत्री व किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पुत्र तथा राष्ट्रिय लोक दल संस्थापक चौधरी अजित सिंह का
गुरुग्राम के निजी अस्पताल में आज की सुबह कोरोना संक्रमित होने से निधन हो गया। वह 20 अप्रैल को कोरोना
संक्रमित हुए थे। मंगलवार रात उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया
गया था, जहां उनका इलाज चल रहा था। जानकारी के मुताबिक उनके फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उनकी
हालत नाजुक बनी हुई थी और आज निधन हो गया |
अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ था। लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी करने
अजित सिंह - शिक्षा से राजनीति
अजित सिंह का जन्म 12 फरवरी 1939 में मेरठ के भडोला गांव में हुआ था। लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी करने
के बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आईआईटी खड़गपुर चले गए। इसके बाद उन्होंने अमेरिका के
इलिनाइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से मास्टर ऑफ साइंस किया। अजित ने करीब 15 साल तक अमेरिका में ही
नौकरी की।
ह पेशे से कम्प्यूटर साइंटिस्ट थे और 1960 के दशक में आईबीएम के साथ काम करने वाले पहले भारतीयों
ह पेशे से कम्प्यूटर साइंटिस्ट थे और 1960 के दशक में आईबीएम के साथ काम करने वाले पहले भारतीयों
में एक थे।
अजित सिंह वाजपेयी सरकार में 2001 से 2003 तक केंद्रीय कृषि मंत्री और 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार में
नागरिक उड्डयन मंत्री भी रह चुके हैं।
1986 में पहली बार यूपी से राज्यसभा पहुंचे |
अजित सिंह ने 1989 में पहली बार लोकसभा चुनाव बागपत सीट से जीता। 1998 में अजित सिंह इस सीट पर
बीजेपी के नेता सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी)
बनाई और 1999 में चुनाव जीत लिया। इसके बाद से वे लगातार 2009 तक इस सीट पर जीतते चले आए। 2014 में
उन्हें बीजेपी के सत्यपाल से मात मिली थी। इसके बाद 2019 में उन्होंने मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव लड़ा था
लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
2019 में बसपा सुप्रीमो मतावती को प्रधानमंत्री बनाने का प्रचार किया था।
अजित सिंह - बहुजन एंगेल
अजित सिंह एक जाट समाज की पार्टी के मुखिया होने के बाद भी व्यवहार में अपने पिता चौधरी चरण सिंह व अन्य
जाट नेताओं से अलग थे। इसका कारण हो सकता है कि उन्होंने आईआईटी खड़गपुर व फिर अमरीका से शिक्षा
ली थी। वास्तव में श्री अखिलेश यादव हो या अजित सिंह या फिर उनके पुत्र जयंत चौधरी यह सभी उच्च शिक्षित है
इसलिए इनमे वो व्यक्तिगत जातिवादी व्यवहार नही भरा है जैसा उस समुदाय का होता है, जिस समुदाय से यह
आते है। माना कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनते समय अपरिपक्व थे जिसके कारण उनके कार्यकाल में सत्ता
अन्य चला रहे थे, जिनमे जरूर जातिवाद भरा था।
इसी पर एक घटना याद आती है कि;
"जब चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने बसपा सरकार मे बिजनौर के कार्यक्रम में बहनजी के खिलाफ मंच से अपशब्दों
इसी पर एक घटना याद आती है कि;
"जब चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने बसपा सरकार मे बिजनौर के कार्यक्रम में बहनजी के खिलाफ मंच से अपशब्दों
के साथ यह कहा था कि "अब यह - चमारी हम पर राज करेगी", तब उनसे माईक अजित सिंह ने छीनकर उन्हें
एकाएक सुनाई थी. बाद में महेंद्र सिंह टिकैत अपने गांव में पहुच गए, पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए गांवों को घेर
लिया, बड़ी मुश्किल से राकेश टिकैत को पुलिस ने पकड़ लिया, जिसके।बाद महेंद्र सिंह टिकैत ने गिरफ्तारी दी।
लेकिन अजित सिंह एक उच्च शिक्षित थे, इसलिए उन्होंने महेंद्र सिंह टिकैत की बात पर हँसने की जगह उनसे
लेकिन अजित सिंह एक उच्च शिक्षित थे, इसलिए उन्होंने महेंद्र सिंह टिकैत की बात पर हँसने की जगह उनसे
एकदम से माइक छीन लिया और गुस्सा प्रकट किया"
वास्तव में जातिवादी समूहों को अपने बच्चो को उच्च शिक्षित करवाना चाहिए तभी उनके दिमाग से जातिवादी भूत
वास्तव में जातिवादी समूहों को अपने बच्चो को उच्च शिक्षित करवाना चाहिए तभी उनके दिमाग से जातिवादी भूत
निकलेगा।
किसान नेता चौधरी अजित सिंह के दुख:त निधन पर उन्हें भावपूर्ण श्रन्धांजलि ...
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