अरविंद केजरीवाल कि आम आदमी पार्टी 2022 में आखिर क्यों लड़ रही ऊप्र चुनाव अरविंद केजरीवाल कि आम आदमी पार्टी 2022 में आखिर क्यों लड़ रही ऊप्र चुनाव - बहुजन जागृती

बहुजन जागृती

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर : बहुजन समाजाची राजनीतिक आणि सामाजिक चळवळ

Wednesday, December 16, 2020

अरविंद केजरीवाल कि आम आदमी पार्टी 2022 में आखिर क्यों लड़ रही ऊप्र चुनाव



<img src="aam-aadmi-party-will-contest-2022-up-assembly-elections.jpg" alt="arvind kejrival party aam aadami party contest 2022 uttar pradesh assembly election"/>



दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की है कि उनकी पार्टी 2022

में उत्तर प्रदेश का चुनाव लड़ेगी। वास्तव में यह इतनी बड़ी खबर नही है। लेकिन एकाएक उत्तर प्रदेश की भाजपा

सरकार के उपमुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक मीडिया में आकर अरविंद केजरीवाल को तुरन्त क्यों टारगेट करने

लगे है?. इसे गम्भीरता से सोचिए।

"जब तक मुस्लिम, एससी इसे समझेंगे तब तक भाजपा 2022 में अपनी सरकार बनाने की मजबूत नींव रख देगी"

क्योंकि;

1.उत्तर प्रदेश में भाजपा और आम आदमी पार्टी का वोटर एक नही है। लेकिन भाजपा इस प्रकार का माहौल बना

रही है जैसे उसे डर लग गया कि अरविंद उत्तर प्रदेश में आ जाएंगे तो उनकी सत्ता छीन जाएगी। नई दिल्ली की

स्तिथि और उत्तर प्रदेश की स्तिथि में अंतर है। जन्हा वैश्य वोट नई दिल्ली में केजरीवाल के साथ है, वन्ही उत्तर

प्रदेश में यह कट्टर भाजपा का वोट है।

2.इसके बाद भी केजरीवाल के चुनाव लड़ने की घोषणा पर योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री तक एकाएक मीडिया

में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केजरीवाल की निंदा कर रहे है। इसका मुख्य कारण यह है कि भाजपा अपना डर

दिखाएगी, मुस्लिम खुश हो जाएगा और वोटो में बिखराव होगा। इसका सीधा लाभ भाजपा उठाएगी।

3.इसलिए भाजपा ने 2022 की चुनाव की तैयारी जोर शोर से शुरू कर दी है, इसी परिपेक्ष में अरविंद केजरीवाल

को आगे करवाया गया है क्योंकि सामने से यह चाहे जितना भी कुछ दिखा दे, अंदर से इन सभी नदियों का अंतिम

लक्ष्य आरएसएस का दफ्तर है, जिसमे जाकर यह भाजपा, कोंग्रेस, आप जैसी पार्टिया विलीन हो जाती है"

4.इसका सबसे बड़ा नुकसान "सपा" को है क्योंकि उसका यादव वोट सुविधानुसार पहले से ही भाजपाई हो जाता

है, वर्तमान में सपा केवल मुस्लिम वोटर पर टिकी हुई है. पिछड़ी जातियों में अधिकतर भाजपाई वोटर बन चुका है,

जो पहले से सपा से जुड़ा हुआ नही है।

5.अब मुस्लिम वोट सपा को मिले इसमें भाजपा को खतरा नही है क्योंकि अकेले मुस्लिम वोट के आधार पर सपा

कुछ नही कर सकती है क्योंकि अगर यादव जो कि उत्तर प्रदेश में 6% है, उसमे से आधा भी सपा को मिल गया तो

3% यादव व 18% मुस्लिम के बाद भी सपा 2022 में भाजपा को खतरा नही पैदा कर रही है।।

6.लेकिन भाजपा को खतरा यह है कि बसपा के पास उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का 13% जाटव वोट एकतरफा

चिपका हुआ है, इसके अलावा एससी की अन्य जातियों और ओबीसी की काफी छोटी छोटी संख्या वाली जातिया

भी बसपा से जुड़ी हुई है, और मुस्लिम वर्ग को भी दिख रहा है कि 6% यादव वोट और उसमे भी अधिकतर में

भाजपा प्रेम कभी भी उतपन्न हो जाता है के साथ मिलकर उन्हें फायदा नही है लेकिन बसपा के पास 13% कट्टर

वोटर है जो मान्यवर ने फेविकोल से ऐसा बसपा से चिपक दिया है कि वो हिलता नही है, इसलिए 2022 में मुस्लिम

के इस 13% के साथ जाने की पूरी पूरी संभावना है"

और यह ही भाजपा को डरा रही है।इसलिए अब एक कृतिम दुश्मन केजरीवाल को आगे किया जा रहा है, जिससे

खुद को डरा हुआ भी भाजपा दिखाएगी और इसका प्रभाव मुस्लिम पर पड़े जिससे मुस्लिम वोट बसपा के कट्टर 

वोट के साथ जुड़ने की जगह बिखराव में तब्दील हो सके।


- विकास कुमार जाटव | सोशल एक्टिविस्ट 


No comments:

Post a Comment