भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उन्होंने अपनी युवावस्था में राजसी जीवन का त्याग कर सत्य की खोज में निकल पड़े। कठोर तपस्या और ध्यान के बाद उन्हें बोधगया में पीपल वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद उन्होंने अपने उपदेशों के माध्यम से दुनिया को मध्यम मार्ग (अष्टांगिक मार्ग) का उपदेश दिया, जिसमें सत्य, अहिंसा, और करुणा के मूल सिद्धांत शामिल थे।
बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बौद्ध धर्मावलंबी बुद्ध विहारों में पूजा-अर्चना करते हैं, बुद्ध की प्रतिमाओं पर फूल चढ़ाते हैं और उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं। इस दिन को बौद्ध मठों में विशेष कार्यक्रमों, प्रवचनों और ध्यान सत्रों के साथ मनाया जाता है।
भगवान बुद्ध की शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने बताया कि दुःख का कारण हमारी इच्छाएं और लालसाएं हैं, और इनसे मुक्ति पाने के लिए मध्यम मार्ग का अनुसरण करना आवश्यक है। उनके अष्टांगिक मार्ग में सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाणी, सम्यक कर्म, सम्यक आजीविका, सम्यक प्रयास, सम्यक स्मृति, और सम्यक समाधि शामिल हैं।
इस बुद्ध पूर्णिमा पर, आइए हम सभी भगवान बुद्ध की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाएं और शांति, अहिंसा और करुणा का संदेश फैलाएं। यही इस पावन पर्व की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
आप सभी को बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं!
- डॉ इंदु चौधरी लालगंज लोकसभा प्रत्याशी बीएसपी।
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