मुकनायक को नमन.... मुकनायक को नमन.... - बहुजन जागृती

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डॉ बाबासाहेब आंबेडकर : बहुजन समाजाची राजनीतिक आणि सामाजिक चळवळ

Tuesday, February 1, 2022

मुकनायक को नमन....



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31 जनवरी 1920 शनिवार के दिन डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने शोषित, वंचित, पीड़ित और बहिष्कृत समाज के सामाजिक उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने जीवन के 29वे वर्ष में ही मूकनायक पाक्षिक समाचार पत्र का प्रकाशन किया।

कोल्हापुर के महाराजा छत्रपति शाहूजी महाराज से प्रेरणा और आर्थिक सहयोग से डॉ. अम्बेडकर ने मुकनायक के पन्नों पर भारत के अछूत समाज की दशा और दिशा बदलने का विचार जनता के बीच स्थापित किया और देश के हुक्मरानों की गहरी नींद को तोड़ने के लिए क्रांति का बिगुल बजा दिया। हालांकि इसका असल उद्देश्य समाज के शोषितों, उत्पीड़ितों और वंचितों को जगाना था, विशेषकर बहिष्कृत अछूतों को।

मुकनायक का उदय दलित आंदोलन के मुखपत्र के रूप में हुआ। इसके कुल 19 अंक में से शुरुआती 12 संस्करणों का पूर्ण लेखन और संपादन कार्य बाबासाहेब अम्बेडकर ने ही किया। लेकिन प्रोफेसर के रूप में सिडेनहम कॉलेज में शासकीय सेवा में होने के चलते बाद के अंको के संपादन के लिए पांडुरंग नंदराम भटकर और ज्ञानदेव ध्रुवनाथ घोलप को नियुक्त किया।

‘मूकनायक’ के प्रकाशन के साथ ही डॉ. अम्बेडकर मूक समाज के घोषित नायक बन गए। इसकी घोषणा स्वयं सामाजिक क्रांति के महान पुरोधा छत्रपति शाहूजी महाराज ने कोल्हापुर के मानगांव में मार्च 1920 में अछूतो के सम्मेलन को संबोधित करते हुए की। महाराज ने कहा कि “मेरा विश्वास है कि डॉ. अम्बेडकर के रूप में आपको अपना मुक्तिदाता मिल गया है। वह आपकी बेड़ियाँ (दासता की) अवश्य ही तोड़ डालेंगे। यही नहीं, मेरा अन्त:करण कहता है कि एक समय आएगा जब डॉ. अम्बेडकर अखिल भारतीय प्रसिद्धि और प्रभाव वाले एक अग्रणी स्तर के नेता के रूप में चमकेंगे।

उन्होंने भारतीय पत्रकारिता और नायकवाद के संबंध में कहा था कि भारतीय प्रेस में समाचार को सनसनीखेज बनाना, तार्किक विचारों के स्थान पर अतार्किक जुनूनी बातें लिखना और जिम्मेदार लोगों की बुद्धि को जाग्रत करने के बजाय गैर–जिम्मेदार लोगों की भावनाएं भड़काना आम बात हैं। … व्यक्ति पूजा की खातिर देश के हितों की इतनी विवेकहीन बलि इसके पहले कभी नहीं दी गई। व्यक्ति पूजा कभी इतनी अंधी नहीं थी जितनी कि वह आज के भारत में है। मुझे यह कहते हुए प्रसन्नता होती है कि इसके कुछ सम्मानित अपवाद हैं, परंतु उनकी संख्या बहुत कम है और उनकी आवाज़ कभी सुनी नहीं जाती।’’

अपनी कलम की ताकत से देश के भविष्य का निर्माण करने वाले "मुकनायक" जिन्होंने प्रबुद्ध भारत की स्थापना का स्वप्न देखा...उन्हें और उनकी कल्पना "मुकनायक" को कोटि कोटि नमन...


डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर जन्मभूमि.

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